Ghazals of Ambareen Haseeb Ambar

Ghazals of Ambareen Haseeb Ambar
नामअंबरीन हसीब अंबर
अंग्रेज़ी नामAmbareen Haseeb Ambar
जन्म स्थानKarachi

ज़िंदगी-भर एक ही कार-ए-हुनर करते रहे

ये शो'ले आज़माना जानते हैं

ये शो'ले आज़माना जानते हैं

वो मसीहा न बना हम ने भी ख़्वाहिश नहीं की

तुम्हारा जो सहारा हो गया है

सितारा-बार बन जाए नज़र ऐसा नहीं होता

शब थी बे-ख़्वाब इक आरज़ू देर तक

मिला भी ज़ीस्त में क्या रन्ज-ए-रह-गुज़ार से कम

मैं ने सोचा है रात-भर तुम को

मैं उसे देख रही हूँ बड़ी हैरानी से

ख़ुशी का लम्हा रेत था सो हाथ से निकल गया

कब मौसम-ए-बहार पुकारा नहीं किया

जिस्म-ओ-जाँ में दर आई इस क़दर अज़िय्यत क्यूँ

जब से ज़िंदगी हुआ दिल गर्दिश-ए-तक़दीर का

इस आरज़ी दुनिया में हर बात अधूरी है

हो गई बात पुरानी फिर भी

इक गली से ख़ुश्बू की रस्म-ओ-राह काफ़ी है

दिल जिन को ढूँढता है न-जाने कहाँ गए

ध्यान में आ कर बैठ गए हो तुम भी नाँ

बहते हुए अश्कों की रवानी नहीं लिक्खी

अयाँ दोनों से तक्मील-ए-जहाँ है

अब असीरी की ये तदबीर हुई जाती है

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