ज़िंदगी अपना सफ़र तय तो करेगी लेकिन
हम-सफ़र आप जो होते तो मज़ा और ही था
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वफ़ा की शान वो लेकिन कभी मिरे न हुए
कोई तदबीर न तक़दीर से लेना-देना
खींच लाया तुझे एहसास-ए-तहफ़्फ़ुज़ मुझ तक
वही चर्चे वही क़िस्से मिली रुस्वाइयाँ हम को
सुब्ह-ए-रौशन को अंधेरों से भरी शाम न दे
तुझी से गुफ़्तुगू हर दम तिरी ही जुस्तुजू हर दम
बन गए दिल के फ़साने क्या क्या
कुछ तो एहसास-ए-मोहब्बत से हुईं नम आँखें
हम ने हज़ार फ़ासले जी कर तमाम शब
न तो ख़ौफ़ रोज़-ए-जज़ा का हो वही इश्क़ है