हम ने हज़ार फ़ासले जी कर तमाम शब
इक मुख़्तसर सी रात को मुद्दत बना दिया
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Jaun Eliya
Habib Jalib
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Wasi Shah
Gulzar
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(749) Peoples Rate This
वही चर्चे वही क़िस्से मिली रुस्वाइयाँ हम को
तुझी से गुफ़्तुगू हर दम तिरी ही जुस्तुजू हर दम
हज़ारों मंज़िलें फिर भी मिरी मंज़िल है तू ही तू
खींच लाया तुझे एहसास-ए-तहफ़्फ़ुज़ मुझ तक
कोई तदबीर न तक़दीर से लेना-देना
वफ़ा की शान वो लेकिन कभी मिरे न हुए
बन गए दिल के फ़साने क्या क्या
दो किनारों को मिलाया था फ़क़त लहरों ने
ज़िंदगी अपना सफ़र तय तो करेगी लेकिन
न हों ख़्वाहिशें न गिला कोई न जफ़ा कोई
कुछ तो एहसास-ए-मोहब्बत से हुईं नम आँखें