अमजद इस्लाम अमजद कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अमजद इस्लाम अमजद (page 3)
नाम | अमजद इस्लाम अमजद |
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अंग्रेज़ी नाम | Amjad Islam Amjad |
जन्म की तारीख | 1944 |
जन्म स्थान | Lahore |
पर्दे में लाख फिर भी नुमूदार कौन है
पर्दे में इस बदन के छुपें राज़ किस तरह
पलकों की दहलीज़ पे चमका एक सितारा था
निकल के हल्क़ा-ए-शाम-ओ-सहर से जाएँ कहीं
न आसमाँ से न दुश्मन के ज़ोर ओ ज़र से हुआ
लहू में तैरते फिरते मलाल से कुछ हैं
लहू में रंग लहराने लगे हैं
कितनी सरकश भी हो सर-फिरी ये हवा रखना रौशन दिया
किसी की आँख में ख़ुद को तलाश करना है
खेल उस ने दिखा के जादू के
कान लगा कर सुनती रातें बातें करते दिन
कमाल-ए-हुस्न है हुस्न-ए-कमाल से बाहर
कहाँ आ के रुकने थे रास्ते कहाँ मोड़ था उसे भूल जा
कभी रक़्स-ए-शाम-ए-बहार में उसे देखते
कब से हम लोग इस भँवर में हैं
जो दिन था एक मुसीबत तो रात भारी थी
जब भी उस शख़्स को देखा जाए
जब भी आँखों में तिरे वस्ल का लम्हा चमका
हुज़ूर-ए-यार में हर्फ़ इल्तिजा के रक्खे थे
हवाएँ लाख चलें लौ सँभलती रहती है
ग़ुबार-ए-दश्त-ए-तलब में हैं रफ़्तगाँ क्या क्या
एक आज़ार हुई जाती है शोहरत हम को
दूरियाँ सिमटने में देर कुछ तो लगती है
दश्त-ए-दिल में सराब ताज़ा हैं
दश्त-ए-बे-आब की तरह गुज़री
दर-ए-काएनात जो वा करे उसी आगही की तलाश है
दाम-ए-ख़ुशबू में गिरफ़्तार सबा है कब से
चेहरे पे मिरे ज़ुल्फ़ को फैलाओ किसी दिन
भीड़ में इक अजनबी का सामना अच्छा लगा
बस्तियों में इक सदा-ए-बे-सदा रह जाएगी