Khawab Poetry of Amjad Islam Amjad

Khawab Poetry of Amjad Islam Amjad
नामअमजद इस्लाम अमजद
अंग्रेज़ी नामAmjad Islam Amjad
जन्म की तारीख1944
जन्म स्थानLahore

हवा ही लौ को घटाती वही बढ़ाती है

सूरज की पहली किरन

वो अभी अपने चेहरे में उतरा नहीं

शिकस्त-ए-अना

ख़ुद-सुपुर्दगी

एक कमरा-ए-इम्तिहान में

चश्म-ए-बे-ख़्वाब को सामान बहुत

बुज़दिल

ऐ वक़्त ज़रा थम जा

ऐ हिज्र-ज़दा शब

ऐ दिल-ए-बे-ख़बर

आशोब-ए-आगही

थे ख़्वाब एक हमारे भी और तुम्हारे भी

सोच के गुम्बद में उभरी टूटती यादों की गूँज

सदियाँ जिन में ज़िंदा हों वो सच भी मरने लगते हैं

पलकों की दहलीज़ पे चमका एक सितारा था

लहू में तैरते फिरते मलाल से कुछ हैं

किसी की आँख में ख़ुद को तलाश करना है

कान लगा कर सुनती रातें बातें करते दिन

कमाल-ए-हुस्न है हुस्न-ए-कमाल से बाहर

कहाँ आ के रुकने थे रास्ते कहाँ मोड़ था उसे भूल जा

दश्त-ए-दिल में सराब ताज़ा हैं

दश्त-ए-बे-आब की तरह गुज़री

बस्तियों में इक सदा-ए-बे-सदा रह जाएगी

बंद था दरवाज़ा भी और अगर में भी तन्हा था मैं

अपने घर की खिड़की से मैं आसमान को देखूँगा

अगरचे कोई भी अंधा नहीं था

आँखों से इक ख़्वाब गुज़रने वाला है

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