Ghazals of Amjad Islam Amjad (page 2)
नाम | अमजद इस्लाम अमजद |
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अंग्रेज़ी नाम | Amjad Islam Amjad |
जन्म की तारीख | 1944 |
जन्म स्थान | Lahore |
खेल उस ने दिखा के जादू के
कान लगा कर सुनती रातें बातें करते दिन
कमाल-ए-हुस्न है हुस्न-ए-कमाल से बाहर
कहाँ आ के रुकने थे रास्ते कहाँ मोड़ था उसे भूल जा
कभी रक़्स-ए-शाम-ए-बहार में उसे देखते
कब से हम लोग इस भँवर में हैं
जो दिन था एक मुसीबत तो रात भारी थी
जब भी उस शख़्स को देखा जाए
जब भी आँखों में तिरे वस्ल का लम्हा चमका
हुज़ूर-ए-यार में हर्फ़ इल्तिजा के रक्खे थे
हवाएँ लाख चलें लौ सँभलती रहती है
ग़ुबार-ए-दश्त-ए-तलब में हैं रफ़्तगाँ क्या क्या
एक आज़ार हुई जाती है शोहरत हम को
दूरियाँ सिमटने में देर कुछ तो लगती है
दश्त-ए-दिल में सराब ताज़ा हैं
दश्त-ए-बे-आब की तरह गुज़री
दर-ए-काएनात जो वा करे उसी आगही की तलाश है
दाम-ए-ख़ुशबू में गिरफ़्तार सबा है कब से
चेहरे पे मिरे ज़ुल्फ़ को फैलाओ किसी दिन
भीड़ में इक अजनबी का सामना अच्छा लगा
बस्तियों में इक सदा-ए-बे-सदा रह जाएगी
बंद था दरवाज़ा भी और अगर में भी तन्हा था मैं
औरों का था बयान तो मौज सदा रहे
अपने होने की तब-ओ-ताब से बाहर न हुए
अपने घर की खिड़की से मैं आसमान को देखूँगा
अगरचे कोई भी अंधा नहीं था
आँखों से इक ख़्वाब गुज़रने वाला है
आईनों में अक्स न हों तो हैरत रहती है