दिल सुलगता है तिरे सर्द रवय्ये से मिरा
देख अब बर्फ़ ने क्या आग लगा रक्खी है
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ऐ दिल-ए-नादाँ किसी का रूठना मत याद कर
आँखें भी हैं रस्ता भी चराग़ों की ज़िया भी
लोग तो रहते हैं हर लम्हा टोह में ऐसी बातों की
डूबे हुए तारों पे मैं क्या अश्क बहाता
दुनिया भी अजब क़ाफ़िला-ए-तिश्ना-लबाँ है
हमें क़रीना-ए-रंजिश कहाँ मयस्सर है
दोस्तो इंग्लिश ज़रूरी है हमारे वास्ते
जाने किस रंग से रूठेगी तबीअत उस की
रात आई है बलाओं से रिहाई देगी
मस्जिद का ये माइक जो उठा लाए हो ऐ 'अनवर'
यही तो दोस्तो ले दे के मेरा बिज़नेस है