Ghazals of Arshad Kamal

Ghazals of Arshad Kamal
नामअरशद कमाल
अंग्रेज़ी नामArshad Kamal
जन्म की तारीख1955

ज़माना कुछ भी कहे तेरी आरज़ू कर लूँ

तलातुम है न जाँ-लेवा भँवर है

समुंदर से किसी लम्हे भी तुग़्यानी नहीं जाती

सच की ख़ातिर सब कुछ खोया कौन लिखेगा

कुछ तो मिल जाए कहीं दीदा-ए-पुर-नम के सिवा

किया है मैं ने ऐसा क्या कि ऐसा हो गया है

कभी जो उस की तमन्ना ज़रा बिफर जाए

कभी अंगड़ाई ले कर जब समुंदर जाग उठता है

हम ज़ीस्त की मौजों से किनारा नहीं करते

हर एक लम्हा-ए-ग़म बहर-ए-बे-कराँ की तरह

फ़िक्र सोई है सर-ए-शाम जगा दी जाए

इक लफ़्ज़ आ गया था जो मेरी ज़बान पर

दर्द की साकित नदी फिर से रवाँ होने को है

ऐ दिल तिरे तुफ़ैल जो मुझ पर सितम हुए

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