Ghazals of Arshad Kamal
नाम | अरशद कमाल |
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अंग्रेज़ी नाम | Arshad Kamal |
जन्म की तारीख | 1955 |
कविताएं
Ghazal 14
Nazam 4
Couplets 7
Love 11
Sad 17
Heart Broken 20
Bewafa 1
Hope 10
Friendship 3
Islamic 2
देशभक्तिपूर्ण 1
ख्वाब 4
ज़माना कुछ भी कहे तेरी आरज़ू कर लूँ
तलातुम है न जाँ-लेवा भँवर है
समुंदर से किसी लम्हे भी तुग़्यानी नहीं जाती
सच की ख़ातिर सब कुछ खोया कौन लिखेगा
कुछ तो मिल जाए कहीं दीदा-ए-पुर-नम के सिवा
किया है मैं ने ऐसा क्या कि ऐसा हो गया है
कभी जो उस की तमन्ना ज़रा बिफर जाए
कभी अंगड़ाई ले कर जब समुंदर जाग उठता है
हम ज़ीस्त की मौजों से किनारा नहीं करते
हर एक लम्हा-ए-ग़म बहर-ए-बे-कराँ की तरह
फ़िक्र सोई है सर-ए-शाम जगा दी जाए
इक लफ़्ज़ आ गया था जो मेरी ज़बान पर
दर्द की साकित नदी फिर से रवाँ होने को है
ऐ दिल तिरे तुफ़ैल जो मुझ पर सितम हुए