Heart Broken Poetry of Arshad Kamal

Heart Broken Poetry of Arshad Kamal
नामअरशद कमाल
अंग्रेज़ी नामArshad Kamal
जन्म की तारीख1955

ये माना सैल-ए-अश्क-ए-ग़म नहीं कुछ कम मगर 'अरशद'

ख़ाक-ए-सहरा तो बहुत दूर है ऐ वहशत-ए-दिल

कभी उन का नहीं आना ख़बर के ज़ैल में था

ज़िम्मेदारी

नफ़ी ओ इसबात

ख़दशा

धूप छाँव के दरमियाँ

ज़माना कुछ भी कहे तेरी आरज़ू कर लूँ

तलातुम है न जाँ-लेवा भँवर है

समुंदर से किसी लम्हे भी तुग़्यानी नहीं जाती

सच की ख़ातिर सब कुछ खोया कौन लिखेगा

कुछ तो मिल जाए कहीं दीदा-ए-पुर-नम के सिवा

किया है मैं ने ऐसा क्या कि ऐसा हो गया है

कभी अंगड़ाई ले कर जब समुंदर जाग उठता है

हम ज़ीस्त की मौजों से किनारा नहीं करते

हर एक लम्हा-ए-ग़म बहर-ए-बे-कराँ की तरह

फ़िक्र सोई है सर-ए-शाम जगा दी जाए

इक लफ़्ज़ आ गया था जो मेरी ज़बान पर

दर्द की साकित नदी फिर से रवाँ होने को है

ऐ दिल तिरे तुफ़ैल जो मुझ पर सितम हुए

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