फूल महकेंगे यूँही चाँद यूँही चमकेगा
तेरे होते हुए मंज़र को हसीं रहना है
Anwar Masood
Allama Iqbal
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Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Rahat Indori
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वो हो न सका अपना तो हम हो गए उस के
कौन हैं वो जिन्हें आफ़ाक़ की वुसअत कम है
दिल की जागीर में मेरा भी कोई हिस्सा रख
दिल इक नई दुनिया-ए-मआनी से मिला है
कहा किस ने मुसलसल काम करने के लिए है
इतना बे-नफ़अ नहीं उस से बिछड़ना मेरा
यहीं कहीं कोई आवाज़ दे रहा था मुझे
बहुत छोटा सा दिल और इस में इक छोटी सी ख़्वाहिश
फिर याद उसे करने की फ़ुर्सत निकल आई
तलाश अपनी ख़ुद अपने वजूद को खो कर
दिल में सौ तीर तराज़ू हुए तब जा के खुला
दिल अजनबी देस में लगा है