शाम होती है तो लगता है कोई रूठ गया
और शब उस को मनाने में गुज़र जाती है
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दिल किसी ख़्वाहिश का उकसाया हुआ
ताएरों की उड़ान में हम हैं
अगर ख़ुशी में तुझे गुनगुनाते लगते हैं
ऐ जुनूँ उस की कहानी भी सुनाऊँगा तुझे
रंज जो दीदा-ए-नमनाक में देखा गया है
वो फूल हो सितारा हो शबनम हो झील हो
हम आइने में तिरा अक्स देखने के लिए
मैं सीखता रहा इक उम्र हाव-हू करना
वो शख़्स जिस की ख़ुशी का बाइस थीं मेरी बातें
अक्स को फूल बनाने में गुज़र जाती है
ये लोग ढूँड रहे हैं यहाँ वहाँ मुझ को