ता-कि न निगाहों को अंधेरे नज़र आएँ
आईना उजालों ने ये चमकाया हुआ है
Habib Jalib
Allama Iqbal
Rahat Indori
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Jaun Eliya
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(615) Peoples Rate This
ये मिरी बज़्म नहीं है लेकिन
तख़्लीक़
सिर्फ़ मैं अपनी कहानी ही नहीं
अजनबी मुझ से आ गले मिल ले
दिल-गिरफ़्ता हूँ जहाँ-शाद हूँ मैं
मक़्सूद-अली-'दीवाना'
ये दिल में वसवसा क्या पल रहा है
जिन के ज़ेर-ए-नगीं सितारे हैं
आँसुओं को फ़ुज़ूल मत समझो
दूर की शहज़ादी