तेरा मेरा है गुमाँ का रिश्ता
तू है मेरी तिरी ईजाद हूँ मैं
Jaun Eliya
Gulzar
Anwar Masood
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(880) Peoples Rate This
सफ़ीना ग़र्क़ हुआ मेरा यूँ ख़मोशी से
मक़्सूद-अली-'दीवाना'
जतन तो ख़ूब किए उस ने टालने के मगर
आँसुओं को फ़ुज़ूल मत समझो
शायद
ज़मीं की रात
ये दिल में वसवसा क्या पल रहा है
जिन के ज़ेर-ए-नगीं सितारे हैं
भूल बैठा हूँ मैं ज़माने को
राज़
दिल और तरह आज तो घबराया हुआ है