दिल की मौजों की तड़प मेरी सदा में आए
दाएरे कर्ब के फैले तो हवा में आए
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ग़ज़ल में दर्द का जादू मुझी को होना था
सीने के बीच 'साक़िब' ऐसा है मरना जीना
समेट ले गए सब रहमतें कहाँ मेहमान
घात
झंकार है मौजों की बहते हुए पानी से
बारिश कैसी जादूगर है
ओझल हुई नज़र से बे-बाल-ओ-पर गई है
रस्ते की अंजान ख़ुशी है
बज़्म-ए-सुख़न को आप की दिल-गीर चल पड़े
लकीर खींच के मुझ पे वो फिर मुझे देखे