Hope Poetry of Asra Rizvi

Hope Poetry of Asra Rizvi
नामअसरा रिज़वी
अंग्रेज़ी नामAsra Rizvi

वस्ल की जो ख़्वाहिश है

ख़्वाब इक जज़ीरा है

ख़िज़ाँ का मौसम

आओ चलें उस खंडर में

ज़िंदगी उलझी है बिखरे हुए गेसू की तरह

ये आग मोहब्बत की बुझाए न बुझे है

वो शख़्स फिर कहानी का उन्वान बन गया

उदास आँखें ग़ज़ाल आँखें

फिर कोई ताज़ा-सितम वो सितम-ईजाद करे

मैं सच तो कह दूँ पर उस को कहीं बुरा न लगे

बालीदगी-ए-ज़र्फ़ पे दिखलाए गए लोग

ऐसा ये दर्द है कि भुलाया न जाएगा

अदावतों का ये उस को सिला दिया हम ने

आग जो दिल में लगी है वो बुझा दी जाए

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