मज़दूरों का गीत

मेहनत से ये माना चूर हैं हम

आराम से कोसों दूर हैं हम

पर लड़ने पर मजबूर हैं हम

मज़दूर हैं हम मज़दूर हैं हम

गो आफ़त ओ ग़म के मारे हैं

हम ख़ाक नहीं हैं तारे हैं

इस जग के राज-दुलारे हैं

मज़दूर हैं हम मज़दूर हैं हम

बनने की तमन्ना रखते हैं

मिटने का कलेजा रखते हैं

सरकश हैं सर ऊँचा रखते हैं

मज़दूर हैं हम मज़दूर हैं हम

हर चंद कि हैं अदबार में हम

कहते हैं खुले बाज़ार में हम

हैं सब से बड़े संसार में हम

मज़दूर में हम मज़दूर हैं हम

जिस सम्त बढ़ा देते हैं क़दम

झुक जाते हैं शाहों के परचम

सावंत हैं हम बलवंत हैं हम

मज़दूर हैं हम मज़दूर हैं हम

गो जान पे लाखों बार बनी

कर गुज़रे मगर जो जी में ठनी

हम दिल के खरे बातों के धनी

मज़दूर हैं हम मज़दूर हैं हम

हम क्या हैं कभी दिखला देंगे

हम नज़्म-ए-कुहन को ढा देंगे

हम अर्ज़-ओ-समा को हिला देंगे

मज़दूर हैं हम मज़दूर हैं हम

हम जिस्म में ताक़त रखते हैं

सीनों में हरारत रखते हैं

हम अज़्म-ए-बग़ावत रखते हैं

मज़दूर हैं हम मज़दूर हैं हम

जिस रोज़ बग़ावत कर देंगे

दुनिया में क़यामत कर देंगे

ख़्वाबों को हक़ीक़त कर देंगे

मज़दूर हैं हम मज़दूर हैं हम

हम क़ब्ज़ा करेंगे दफ़्तर पर

हम वार करेंगे क़ैसर पर

हम टूट पड़ेंगे लश्कर पर

मज़दूर हैं हम मज़दूर हैं हम

(957) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Mazduron Ka Git In Hindi By Famous Poet Asrar-ul-Haq Majaz. Mazduron Ka Git is written by Asrar-ul-Haq Majaz. Complete Poem Mazduron Ka Git in Hindi by Asrar-ul-Haq Majaz. Download free Mazduron Ka Git Poem for Youth in PDF. Mazduron Ka Git is a Poem on Inspiration for young students. Share Mazduron Ka Git with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.