Heart Broken Poetry of Azhar Faragh

Heart Broken Poetry of Azhar Faragh
नामअज़हर फ़राग़
अंग्रेज़ी नामAzhar Faragh
जन्म की तारीख1980
जन्म स्थानBhawalpur, Pakistan

मंज़र-ए-शाम-ए-ग़रीबाँ है दम-ए-रुख़्सत-ए-ख़्वाब

ख़तों को खोलती दीमक का शुक्रिया वर्ना

इज़ाला हो गया ताख़ीर से निकलने का

बता रहा है झटकना तिरी कलाई का

उस लब की ख़ामुशी के सबब टूटता हूँ मैं

रात की आग़ोश से मानूस इतने हो गए

कोशिशें कर के दिल बुरा किया था

कोई सिलसिला नहीं जावेदाँ तिरे साथ भी तिरे बा'द भी

कमी है कौन सी घर में दिखाने लग गए हैं

कैसे दुनिया का जाएज़ा किया जाए

हँसने-हँसाने पढ़ने-पढ़ाने की उम्र है

दीवारें छोटी होती थीं लेकिन पर्दा होता था

धूप में साया बने तन्हा खड़े होते हैं

डरे हुए हैं सभी लोग अब्र छाने से

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