Ghazals of Azhar Faragh

Ghazals of Azhar Faragh
नामअज़हर फ़राग़
अंग्रेज़ी नामAzhar Faragh
जन्म की तारीख1980
जन्म स्थानBhawalpur, Pakistan

उस लब की ख़ामुशी के सबब टूटता हूँ मैं

तिरे ब'अद कोई भी ग़म असर नहीं कर सका

रात की आग़ोश से मानूस इतने हो गए

कोशिशें कर के दिल बुरा किया था

कोई सिलसिला नहीं जावेदाँ तिरे साथ भी तिरे बा'द भी

कोई भी शक्ल मिरे दिल में उतर सकती है

कमी है कौन सी घर में दिखाने लग गए हैं

कैसे दुनिया का जाएज़ा किया जाए

जाते हुए नहीं रहा फिर भी हमारे ध्यान में

हँसने-हँसाने पढ़ने-पढ़ाने की उम्र है

दोश देते रहे बे-कार ही तुग़्यानी को

दीवारें छोटी होती थीं लेकिन पर्दा होता था

धूप में साया बने तन्हा खड़े होते हैं

डरे हुए हैं सभी लोग अब्र छाने से

भँवर से ये जो मुझे बादबान खींचता है

भँवर से ये जो मुझे बादबान खींचता है

बाग़ से झूले उतर गए

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