तेरी शर्तों पे ही करना है अगर तुझ को क़ुबूल
ये सुहुलत तो मुझे सारा जहाँ देता है
Gulzar
Parveen Shakir
Wasi Shah
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
Jaun Eliya
Rahat Indori
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(9195) Peoples Rate This
एक ही वक़्त में प्यासे भी हैं सैराब भी हैं
दलील उस के दरीचे की पेश की मैं ने
किसी बदन की सयाहत निढाल करती है
कोई सिलसिला नहीं जावेदाँ तिरे साथ भी तिरे बा'द भी
दोश देते रहे बे-कार ही तुग़्यानी को
प्यास की पैदाइश तो कल का क़िस्सा है
जाते हुए नहीं रहा फिर भी हमारे ध्यान में
कोई भी शक्ल मिरे दिल में उतर सकती है
गीले बालों को सँभाल और निकल जंगल से
दीवारें छोटी होती थीं लेकिन पर्दा होता था
वो दस्तियाब हमें इस लिए नहीं होता
बहुत ग़नीमत हैं हम से मिलने कभी कभी के ये आने वाले