तेज़ आँधी में ये भी काफ़ी है
पेड़ तस्वीर में बचा लिया जाए
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Allama Iqbal
Rahat Indori
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Gulzar
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1538) Peoples Rate This
जाते हुए नहीं रहा फिर भी हमारे ध्यान में
एक होने की क़स्में खाई जाएँ
इज़ाला हो गया ताख़ीर से निकलने का
गिरते पेड़ों की ज़द में हैं हम लोग
ये कच्चे सेब चबाने में इतने सहल नहीं
कोशिशें कर के दिल बुरा किया था
बता रहा है झटकना तिरी कलाई का
ये लोग जा के कटी बोगियों में बैठ गए
कैसे दुनिया का जाएज़ा किया जाए
रात की आग़ोश से मानूस इतने हो गए
ये ख़मोशी मिरी ख़मोशी है
वैसे तो ईमान है मेरा उन बाँहों की गुंजाइश पर