ये ख़मोशी मिरी ख़मोशी है
इस का मतलब मुकालिमा लिया जाए
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बदल के देख चुकी है रेआया साहिब-ए-तख़्त
तिरे ब'अद कोई भी ग़म असर नहीं कर सका
किसी बदन की सयाहत निढाल करती है
कोई भी शक्ल मिरे दिल में उतर सकती है
ये लोग जा के कटी बोगियों में बैठ गए
दलील उस के दरीचे की पेश की मैं ने
मैं जानता हूँ मुझे मुझ से माँगने वाले
ये ए'तिमाद भी मेरा दिया हुआ है तुम्हें
रात की आग़ोश से मानूस इतने हो गए
कोशिशें कर के दिल बुरा किया था
वैसे तो ईमान है मेरा उन बाँहों की गुंजाइश पर
इज़ाला हो गया ताख़ीर से निकलने का