ये ए'तिमाद भी मेरा दिया हुआ है तुम्हें
जो मेरे मशवरे बे-कार जाने लग गए हैं
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दीवारें छोटी होती थीं लेकिन पर्दा होता था
बहुत से साँप थे इस ग़ार के दहाने पर
भँवर से ये जो मुझे बादबान खींचता है
ठहरना भी मिरा जाना शुमार होने लगा
हाए वो भीगा रेशमी पैकर
कमी है कौन सी घर में दिखाने लग गए हैं
वस्ल के एक ही झोंके में
मेरी नुमू है तेरे तग़ाफ़ुल से वाबस्ता
एक ही वक़्त में प्यासे भी हैं सैराब भी हैं
गीले बालों को सँभाल और निकल जंगल से
ये ख़मोशी मिरी ख़मोशी है
डरे हुए हैं सभी लोग अब्र छाने से