ये जो रहते हैं बहुत मौज में शब भर हम लोग
सुब्ह होते ही किनारे पे पड़े होते हैं
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Allama Iqbal
Gulzar
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1101) Peoples Rate This
कुछ नहीं दे रहा सुझाई हमें
भँवर से ये जो मुझे बादबान खींचता है
प्यास की पैदाइश तो कल का क़िस्सा है
कोशिशें कर के दिल बुरा किया था
तेरी शर्तों पे ही करना है अगर तुझ को क़ुबूल
जाते हुए नहीं रहा फिर भी हमारे ध्यान में
डरे हुए हैं सभी लोग अब्र छाने से
दीवारें छोटी होती थीं लेकिन पर्दा होता था
ये कच्चे सेब चबाने में इतने सहल नहीं
कोई भी शक्ल मिरे दिल में उतर सकती है
उसे कहो जो बुलाता है गहरे पानी में