अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा (page 4)

अज़ीज़ बानो दाराब  वफ़ा कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अज़ीज़ बानो दाराब  वफ़ा (page 4)
नामअज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा
अंग्रेज़ी नामAziz Bano Darab Wafa
जन्म की तारीख1926
मौत की तिथि2005
जन्म स्थानLucknow

मुझे कहाँ मिरे अंदर से वो निकालेगा

मिरे मिज़ाज को सूरज से जोड़ता क्यूँ है

मेरे अंदर एक दस्तक सी कहीं होती रही

मेरा भी हर अंग था बहरा उस का जिस्म भी गूँगा था

मैं उस की बात के लहजे का ए'तिबार करूँ

लिया है किस क़दर सख़्ती से अपना इम्तिहाँ हम ने

लहू से उठ के घटाओं के दिल बरसते हैं

किस क़दर कम-असास हैं कुछ लोग

ख़ुद में उतरूँगी तो मैं भी लापता हो जाऊँगी

खोल रहे हैं मूँद रहे हैं यादों के दरवाज़े लोग

कभी गोकुल कभी राधा कभी मोहन बन के

हम कोई नादान नहीं कि बच्चों की सी बात करें

हटा के मेज़ से इक रोज़ आईना मैं ने

एक दिए ने सदियों क्या क्या देखा है बतलाए कौन

अपनी बीती हुई रंगीन जवानी देगा

अलावा इक चुभन के क्या है ख़ुद से राब्ता मेरा

आप भी रेत का मल्बूस पहन कर देखें

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