अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा (page 4)
नाम | अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा |
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अंग्रेज़ी नाम | Aziz Bano Darab Wafa |
जन्म की तारीख | 1926 |
मौत की तिथि | 2005 |
जन्म स्थान | Lucknow |
कविताएं
Ghazal 32
Couplets 75
Love 32
Sad 11
Heart Broken 33
Hope 15
Friendship 1
Social 4
बारिश 2
ख्वाब 5
Sharab 3
मुझे कहाँ मिरे अंदर से वो निकालेगा
मिरे मिज़ाज को सूरज से जोड़ता क्यूँ है
मेरे अंदर एक दस्तक सी कहीं होती रही
मेरा भी हर अंग था बहरा उस का जिस्म भी गूँगा था
मैं उस की बात के लहजे का ए'तिबार करूँ
लिया है किस क़दर सख़्ती से अपना इम्तिहाँ हम ने
लहू से उठ के घटाओं के दिल बरसते हैं
किस क़दर कम-असास हैं कुछ लोग
ख़ुद में उतरूँगी तो मैं भी लापता हो जाऊँगी
खोल रहे हैं मूँद रहे हैं यादों के दरवाज़े लोग
कभी गोकुल कभी राधा कभी मोहन बन के
हम कोई नादान नहीं कि बच्चों की सी बात करें
हटा के मेज़ से इक रोज़ आईना मैं ने
एक दिए ने सदियों क्या क्या देखा है बतलाए कौन
अपनी बीती हुई रंगीन जवानी देगा
अलावा इक चुभन के क्या है ख़ुद से राब्ता मेरा
आप भी रेत का मल्बूस पहन कर देखें