Heart Broken Poetry of Aziz Bano Darab Wafa

Heart Broken Poetry of Aziz Bano Darab  Wafa
नामअज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा
अंग्रेज़ी नामAziz Bano Darab Wafa
जन्म की तारीख1926
मौत की तिथि2005
जन्म स्थानLucknow

ज़िंदगी के सारे मौसम आ के रुख़्सत हो गए

ज़मीन मोम की होती है मेरे क़दमों में

उम्र भर रास्ते घेरे रहे उस शख़्स का घर

तिश्नगी मेरी मुसल्लम है मगर जाने क्यूँ

मेरे हालात ने यूँ कर दिया पत्थर मुझ को

मैं उस की धूप हूँ जो मेरा आफ़्ताब नहीं

मैं भी साहिल की तरह टूट के बह जाती हूँ

कुरेदता है बहुत राख मेरे माज़ी की

जाने कितने राज़ खुलें जिस दिन चेहरों की राख धुले

हमारी बेबसी शहरों की दीवारों पे चिपकी है

एक मुद्दत से ख़यालों में बसा है जो शख़्स

धूप मेरी सारी रंगीनी उड़ा ले जाएगी

चमन पे बस न चला वर्ना ये चमन वाले

ज़िंदगी के सारे मौसम आ के रुख़्सत हो गए

ज़रा मुश्किल से समझेंगे हमारे तर्जुमाँ हम को

तू आया तो द्वार भिड़े थे दीप बुझा था आँगन का

थकन से चूर हूँ लेकिन रवाँ-दवाँ हूँ मैं

टटोलता हुआ कुछ जिस्म ओ जान तक पहुँचा

रूठ जाएगा तो मुझ से और क्या ले जाएगा

फूँक देंगे मिरे अंदर के उजाले मुझ को

पड़ा है ज़िंदगी के इस सफ़र से साबिक़ा अपना

न याद आया न भूला न सानेहा मुझ को

न जाने कब से बराबर मिरी तलाश में है

मुझे कहाँ मिरे अंदर से वो निकालेगा

मिरे मिज़ाज को सूरज से जोड़ता क्यूँ है

मैं उस की बात के लहजे का ए'तिबार करूँ

लहू से उठ के घटाओं के दिल बरसते हैं

ख़ुद में उतरूँगी तो मैं भी लापता हो जाऊँगी

हटा के मेज़ से इक रोज़ आईना मैं ने

एक दिए ने सदियों क्या क्या देखा है बतलाए कौन

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