दे रहे हैं इस लिए जंगल में धरना जानवर
एक चूहे को रिहाइश के लिए बिल चाहिए
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है कामयाबी-ए-मर्दां में हाथ औरत का
कितनी मज़ाहिया है ये बोतल के जिन की बात
ऐसी ख़्वाहिश को समझता हूँ मैं बिल्कुल नेचुरल
मोअर्रिख़ लिख न दें सुक़रात मुझ को
उमीद
केबल पे एक शेल्फ़ से जल्दी में सीख कर
न ये क़ानून काम आया था राँझे के ज़रा सा भी
वो साड़ी ज्यूलरी के तहाइफ़ पे थी ब-ज़िद
वो हसब-ए-शहर कर लेता है मस्लक में भी तब्दीली
कुछ इस लिए भी उसे टूट कर नहीं चाहा
थका हारा निकल कर घर से अपने