केबल पे एक शेफ़ से जल्दी में सीख कर
लाई वो शिमला-मिर्च का हलवा मिरे लिए
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ऐसे बंदों को जानता हूँ मैं
बेगम से कह रहा था ये कोई ख़ला-नवर्द
कूदे हैं उस के सेहन में दो-चार शेर-दिल
इश्क़ में ये तफ़रक़ा-बाज़ी बहुत मायूब है
वो साड़ी ज्यूलरी के तहाइफ़ पे थी ब-ज़िद
मैं ने सुनाया उस को जो उर्दू में हाल-ए-दिल
दे रहे हैं इस लिए जंगल में धरना जानवर
ये दिया मैसेज ट्वीटर पर फ़सादी शख़्स ने
वो तीस साल से है फ़क़त बीस साल की
मैं एक बोरी में लाया हूँ भर के मूँग-फली
ऐसी ख़्वाहिश को समझता हूँ मैं बिल्कुल नेचुरल
केबल पे एक शेल्फ़ से जल्दी में सीख कर