आइना देख कर वो ये समझे
मिल गया हुस्न-ए-बे-मिसाल हमें
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मुँह फेर कर वो कहते हैं बस मान जाइए
बेचने आए कोई क्या दिल-ए-शैदा ले कर
दिल चुरा ले गई दुज़्दीदा-नज़र देख लिया
नौ-गिरफ़्तार-ए-मोहब्बत हूँ वफ़ा मुझ में कहाँ
चश्म-ए-बद-दूर वो भोले भी हैं नादाँ भी हैं
तुम्हारे हाथ ख़ाली जेब ख़ाली ज़ुल्फ़ ख़ाली थी
आप हैं बे-गुनाह क्या कहना
कब तक करेंगे जब्र दिल-ए-ना-सुबूर पर
आ गए फिर तिरे अरमान मिटाने हम को
दे मोहब्बत तो मोहब्बत में असर पैदा कर
सवाल-ए-वस्ल पर कुछ सोच कर उस ने कहा मुझ से
ऐसा बना दिया तुझे क़ुदरत ख़ुदा की है