आप को रंज हुआ आप के दुश्मन रोए
मैं पशेमान हुआ हाल सुना कर अपना
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Gulzar
Anwar Masood
Wasi Shah
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Rahat Indori
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(665) Peoples Rate This
अदाएँ देखने बैठे हो क्या आईने में अपनी
दिल मोहब्बत से भर गया 'बेख़ुद'
मिला के ख़ाक में सर्मा-ए-दिल-ए-'बेख़ुद'
दिल तो लेते हो मगर ये भी रहे याद तुम्हें
राह में बैठा हूँ मैं तुम संग-ए-रह समझो मुझे
दिल चुरा ले गई दुज़्दीदा-नज़र देख लिया
महफ़िल वही मकान वही आदमी वही
ये कह के मेरे सामने टाला रक़ीब को
तुम्हें हम चाहते तो हैं मगर क्या
नज़र कहीं है मुख़ातब किसी से हैं दिल में
आप हों हम हों मय-ए-नाब हो तन्हाई हो
उठे तिरी महफ़िल से तो किस काम के उठ्ठे