आप शर्मा के न फ़रमाएँ हमें याद नहीं
ग़ैर का ज़िक्र है ये आप की रूदाद नहीं
Parveen Shakir
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Habib Jalib
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Anwar Masood
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Gulzar
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महफ़िल वही मकान वही आदमी वही
वफ़ा का नाम तो पीछे लिया है
झूट सच आप तो इल्ज़ाम दिए जाते हैं
बेचने आए कोई क्या दिल-ए-शैदा ले कर
तकिया हटता नहीं पहलू से ये क्या है 'बेख़ुद'
ऐ शैख़ आदमी के भी दर्जे हैं मुख़्तलिफ़
चश्म-ए-बद-दूर वो भोले भी हैं नादाँ भी हैं
क़यामत है तिरी उठती जवानी
तुम्हारी याद मेरा दिल ये दिनों चलते पुर्ज़े हैं
बनी थी दिल पे कुछ ऐसी की इज़्तिराब न था
जो तुझे इम्तिहान देता है
मुझ को न दिल पसंद न वो बेवफ़ा पसंद