अल्लाह तेरे हाथ है अब आबरू-ए-शौक़
दम घुट रहा है वक़्त की रफ़्तार देख कर
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Gulzar
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(973) Peoples Rate This
न अपने ज़ब्त को रुस्वा करो सता के मुझे
एक दिन वो दिन थे रोने पे हँसा करते थे हम
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
चमन को लग गई किस की नज़र ख़ुदा जाने
ख़िज़ाँ जब तक चली जाती नहीं है
सौदा वो क्या करेगा ख़रीदार देख कर
ख़िज़ाँ के जाने से हो या बहार आने से
अब मुलाक़ात कहाँ शीशे से पैमाने से
हो न मायूस ख़ुदा से 'बिस्मिल'
सारी उम्मीद रही जाती है
जुरअत-ए-शौक़ तो क्या कुछ नहीं कहती लेकिन
इक ग़लत सज्दे से क्या होता है वाइज़ कुछ न पूछ