साज़ ये कीना-साज़ क्या जानें
नाज़ वाले नियाज़ क्या जानें
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Wasi Shah
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Allama Iqbal
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(925) Peoples Rate This
ख़बर सुन कर मिरे मरने की वो बोले रक़ीबों से
वो ज़माना नज़र नहीं आता
मज़े इश्क़ के कुछ वही जानते हैं
ना-उमीदी बढ़ गई है इस क़दर
ग़ैर को मुँह लगा के देख लिया
रूह किस मस्त की प्यासी गई मय-ख़ाने से
जो हो सकता है उस से वो किसी से हो नहीं सकता
खुलता नहीं है राज़ हमारे बयान से
मुझ सा न दे ज़माने को परवरदिगार दिल
पयामी कामयाब आए न आए
आप पछताएँ नहीं जौर से तौबा न करें
फिरता है मेरे दिल में कोई हर्फ़-ए-मुद्दआ