आप पछताएँ नहीं जौर से तौबा न करें
आप के सर की क़सम 'दाग़' का हाल अच्छा है
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शब-ए-विसाल है गुल कर दो इन चराग़ों को
ले चला जान मिरी रूठ के जाना तेरा
देख कर जौबन तिरा किस किस को हैरानी हुई
तेरी सूरत को देखता हूँ मैं
ये तो नहीं कि तुम सा जहाँ में हसीं नहीं
आओ मिल जाओ कि ये वक़्त न पाओगे कभी
ऐ दाग़ अपनी वज़्अ' हमेशा यही रही
कोई छींटा पड़े तो 'दाग़' कलकत्ते चले जाएँ
पयामी कामयाब आए न आए
तुम्हारे ख़त में नया इक सलाम किस का था
मर्ग-ए-दुश्मन का ज़ियादा तुम से है मुझ को मलाल
तुम को आशुफ़्ता-मिज़ाजों की ख़बर से क्या काम