ये तो नहीं कि तुम सा जहाँ में हसीं नहीं
इस दिल को क्या करूँ ये बहलता कहीं नहीं
Parveen Shakir
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Rahat Indori
Anwar Masood
Gulzar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1280) Peoples Rate This
तुम्हारे ख़त में नया इक सलाम किस का था
रहा न दिल में वो बेदर्द और दर्द रहा
ब'अद मुद्दत के ये ऐ 'दाग़' समझ में आया
शब-ए-वस्ल ज़िद में बसर हो गई
आप का ए'तिबार कौन करे
मुझ सा न दे ज़माने को परवरदिगार दिल
अच्छी सूरत पे ग़ज़ब टूट के आना दिल का
दिल ले के मुफ़्त कहते हैं कुछ काम का नहीं
दिल-ए-नाकाम के हैं काम ख़राब
दफ़अ'तन तर्क-ए-तअ'ल्लुक़ में भी रुस्वाई है
अयादत को मिरी आ कर वो ये ताकीद करते हैं
फिरे राह से वो यहाँ आते आते