फिर वही शाम वही दर्द वही अपना जुनूँ
जाने क्या याद थी वो जिस को भुलाए गए हम
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Gulzar
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Rahat Indori
Parveen Shakir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(712) Peoples Rate This
किसी के दिल में उतरना है कार-ए-ला-हासिल
बिछड़ के तुझ से तिरी याद भी नहीं आई
सारबाँ
क़िस्सा तमाम
सब्र की चादर तह कर दी
सब्ज़ रुतों में क़दीम घरों की ख़ुशबू
यूँ जगमगा उठा है तिरी याद से वजूद
ख़ुद-कुशी के पुल पर
और ख़ुदा ख़ामोश था
ज़मीन पर न रहे आसमाँ को छोड़ दिया
आईना देखते हो
वो और मैं....