रफ़ीक़ ख़याल कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का रफ़ीक़ ख़याल

रफ़ीक़ ख़याल कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का रफ़ीक़ ख़याल
नामरफ़ीक़ ख़याल
अंग्रेज़ी नामRafique Khayal

तुम समुंदर के सहमे हुए जोश को मेरा पैग़ाम देना

तफ़्सील-ए-इनायात तो अब याद नहीं है

बात तो जब है कि जज़्बों से सदाक़त फूटे

विसालिया

दस्तक

ज़िंदा हैं मिरे ख़्वाब ये कब याद है मुझ को

ये बात मुन्कशिफ़ हुई चराग़ के बग़ैर भी

उदास शाम की तन्हाइयों में जलता हुआ

तहलील मौसमों में कर के अजब नशा सा

सन्नाटा छा गया है शब-ए-ग़म की चाप पर

नर्म लहजे में तहम्मुल से ज़रा बात करो

मोहब्बतों की मसाफ़त से कट के देखते क्या

मिस्ल-ए-बहिश्त-ए-ख़ुश-नुमा कौन-ओ-मकान में

कितना जाँ-सोज़ है मंज़र मिरी तन्हाई का

जब तिरी चाह में दामान-ए-जुनूँ चाक हुआ

हिज्र-ज़दा आँखों से जब आँसू निकले ख़ामोशी से

बुझती शम्अ की सूरत क्यूँ अफ़्सुर्दा खड़े हो खिड़की में

आज वीरानियों में मिरा दिल नया सिलसिला चाहता है

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