Love Poetry of Farhat Ehsas (page 2)
नाम | फ़रहत एहसास |
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अंग्रेज़ी नाम | Farhat Ehsas |
जन्म की तारीख | 1952 |
जन्म स्थान | Delhi |
वहाँ मैं जाऊँ मगर कुछ मिरा भला भी तो हो
उस को है इश्क़ बताना भी नहीं चाहता है
उम्र बे-वज्ह गुज़ारे भी नहीं जा सकते
तुम कुछ भी करो होश में आने के नहीं हम
तुझे ख़बर हो तो बोल ऐ मिरे सितारा-ए-शब
तेरे सूरज को तिरी शाम से पहचानते हैं
तेरा भला हो तू जो समझता है मुझ को ग़ैर
तन्हाई के आब-ए-रवाँ के साहिल पर बैठा हूँ मैं
तह-ए-बदन कहीं बेदार होता जाता हूँ
साँसें ना-हमवार मिरी
सहरा के संगीन सफ़र में आब-रसानी कम न पड़े
साहिब-ए-इश्क़ अब इतनी सी तो राहत मुझे दे
सब ने'मतें हैं शहर में इंसान ही नहीं
सब लज़्ज़तें विसाल की बेकार करते हो
रूह को तो इक ज़रा सी रौशनी दरकार है
रौनक़-ए-ज़हर हो चुका मिरा दिल
रास्ता दे ऐ हुजूम-ए-शहर घर जाएँगे हम
रात बहुत शराब पी रात बहुत पढ़ी नमाज़
पुराना ज़ख़्म जिसे तजरबा ज़ियादा है
फिर वही मौसम-ए-जुदाई है
पैकर-ए-अक़्ल तिरे होश ठिकाने लग जाएँ
पहले तो ज़रा सा हट के देखा
नंग धड़ंग मलंग तरंग में आएगा जो वही काम करेंगे
नहीं देखता दिन जिसे चश्म-ए-शब देखती है
मुसलसल अश्क-बारी हो रही है
मोहब्बत का सिला-कार-ए-मोहब्बत से नहीं मिलता
मोहब्बत चाहते हो क्यूँ वफ़ा क्यूँ माँगते हो
मिला है जिस्म कि उस का गुमाँ मिला है मुझे
मिरी मोहब्बत में सारी दुनिया को इक खिलौना बना दिया है
मेरी मिट्टी का नसब बे-सर-ओ-सामानी से