Hope Poetry of Farhat Ehsas

Hope Poetry of Farhat Ehsas
नामफ़रहत एहसास
अंग्रेज़ी नामFarhat Ehsas
जन्म की तारीख1952
जन्म स्थानDelhi

फिर सोच के ये सब्र किया अहल-ए-हवस ने

हिज्र ओ विसाल चराग़ हैं दोनों तन्हाई के ताक़ों में

ना-रसाई

मामूल

ख़ुद-आगही

हमवारी

गुनाहों की धुँद

ज़मीं से अर्श तलक सिलसिला हमारा भी था

ये बाग़ ज़िंदा रहे ये बहार ज़िंदा रहे

वो महफ़िलें पुरानी अफ़्साना हो रही हैं

तुझे ख़बर हो तो बोल ऐ मिरे सितारा-ए-शब

तू मुझ को जो इस शहर में लाया नहीं होता

तेरा भला हो तू जो समझता है मुझ को ग़ैर

तन्हाई के आब-ए-रवाँ के साहिल पर बैठा हूँ मैं

रूह को तो इक ज़रा सी रौशनी दरकार है

रास्ते हम से राज़ कहने लगे

रास्ता दे ऐ हुजूम-ए-शहर घर जाएँगे हम

पुराना ज़ख़्म जिसे तजरबा ज़ियादा है

पैकर-ए-अक़्ल तिरे होश ठिकाने लग जाएँ

पहले क़ब्रिस्तान आता है फिर अपनी बस्ती आती है

ना-क़ाबिल-ए-यक़ीं था अगरचे शुरूअ' में

मिरे सुबूत बहे जा रहे हैं पानी में

मैं शहरी हूँ मगर मेरी बयाबानी नहीं जाती

मैं अपने रू-ए-हक़ीक़त को खो नहीं सकता

महफ़िल में अब के आओ तो ऐसी ख़ता न हो

कुछ भी न कहना कुछ भी न सुनना लफ़्ज़ में लफ़्ज़ उतरने देना

ख़ाक ओ ख़ूँ की नई तंज़ीम में शामिल हो जाओ

खड़ी है रात अंधेरों का अज़दहाम लगाए

काबा-ए-दिल दिमाग़ का फिर से ग़ुलाम हो गया

काम उन आँखों की हवसनाकी की साज़िश आ गई

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