मुँह-बोला बोल जगत का है जो मन में रहे सो अपना है
मुँह-बोला बोल जगत का है जो मन में रहे सो अपना है
ये दिल का मीठा मीठा दर्द भी गूँगे का सा सपना है
या रुख़ को हवा के फेर दे तू या रुख़ पे हवा के बहता चल
संसार खपा ले अपने में संसार में वर्ना खपना है
मरना ही नहीं ये जीना है ये प्रेम की ज्वाला है जिस में
चाँदी की तरह से गलना है सोने की तरह से तपना है
इस माया-जाल से बच कर चल हर एक क़दम पर फंदा है
संसार की माया धोका है संसार की माया सपना है
अब दिल की तड़प में जीवन है जीवन में तड़प है बिजली की
अब दिल को सदा ही धड़कना है 'फ़रहत' को सदा ही तड़पना है
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