हम से तंहाई के मारे नहीं देखे जाते
बिन तिरे चाँद सितारे नहीं देखे जाते
Rahat Indori
Gulzar
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Anwar Masood
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Wasi Shah
Parveen Shakir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(980) Peoples Rate This
आँख को जकड़े थे कल ख़्वाब अज़ाबों के
नहीं है अब कोई रस्ता नहीं है
तिरा वजूद गवाही है मेरे होने की
हयात को तिरी दुश्वार किस तरह करता
दश्त-ए-वहशत ने फिर पुकारा है
सौत क्या शय है ख़ामुशी क्या है
मुझ पे हो जाए तिरी चश्म-ए-करम गर पल भर
हर्फ़ जैसे हो गए सारे मुनाफ़िक़ एक दम
जब तक चराग़-ए-शाम-ए-तमन्ना जले चलो
शाम कहती है कोई बात जुदा सी लिक्खूँ