Bewafa Poetry of Habib Jalib

Bewafa Poetry of Habib Jalib
नामहबीब जालिब
अंग्रेज़ी नामHabib Jalib
जन्म की तारीख1929
मौत की तिथि1993
जन्म स्थानLahore

जवाँ आग

ज़ाबता

उस सितमगर की हक़ीक़त हम पे ज़ाहिर हो गई

ज़ुल्मत को ज़िया सरसर को सबा बंदे को ख़ुदा क्या लिखना

उट्ठो मरने का हक़ इस्तिमाल करो

तेज़ चलो

शहर-ए-ज़ुल्मात को सबात नहीं

सहाफ़ी से

मीरा-जी

मेरी बच्ची

माँ

ख़ुदा हमारा है

औरत

ऐ जहाँ देख ले!

अहद-ए-सज़ा

उस रऊनत से वो जीते हैं कि मरना ही नहीं

तिरे माथे पे जब तक बल रहा है

'मीर'-ओ-'ग़ालिब' बने 'यगाना' बने

लोग गीतों का नगर याद आया

क्या क्या लोग गुज़र जाते हैं रंग-बिरंगी कारों में

कराहते हुए इंसान की सदा हम हैं

कहीं आह बन के लब पर तिरा नाम आ न जाए

'फ़ैज़' और 'फ़ैज़' का ग़म भूलने वाला है कहीं

चूर था ज़ख़्मों से दिल ज़ख़्मी जिगर भी हो गया

बातें तो कुछ ऐसी हैं कि ख़ुद से भी न की जाएँ

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