Sad Poetry of Habib Jalib

Sad Poetry of Habib Jalib
नामहबीब जालिब
अंग्रेज़ी नामHabib Jalib
जन्म की तारीख1929
मौत की तिथि1993
जन्म स्थानLahore

सलाम लोगो

14-अगस्त

अफ़्सोस तुम्हें कार के शीशे का हुआ है

जवाँ आग

ज़ाबता

उन के आने के बाद भी 'जालिब'

तू आग में ऐ औरत ज़िंदा भी जली बरसों

न तेरी याद न दुनिया का ग़म न अपना ख़याल

कुछ लोग ख़यालों से चले जाएँ तो सोएँ

कुछ और भी हैं काम हमें ऐ ग़म-ए-जानाँ

जिन की यादों से रौशन हैं मेरी आँखें

इक तिरी याद से इक तेरे तसव्वुर से हमें

ज़ुल्मत को ज़िया सरसर को सबा बंदे को ख़ुदा क्या लिखना

उट्ठो मरने का हक़ इस्तिमाल करो

तेज़ चलो

तेरे होने से

शहर-ए-ज़ुल्मात को सबात नहीं

सहाफ़ी से

रेफ़्रेनडम

'नूर-जहाँ'

नाम क्या लूँ

मुशीर

मुम्ताज़

मुलाक़ात

मीरा-जी

मेरी बच्ची

मता-ए-ग़ैर

लायल-पूर

'लता'

ख़ुदा हमारा है

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