किस की सदा फ़ज़ाओं में गूँजी है चार-सू
किस ने मुझे पुकारा है बचपन के नाम से
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Anwar Masood
Habib Jalib
Javed Akhtar
Gulzar
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Wasi Shah
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(845) Peoples Rate This
ख़ून मज़दूर का मिलता जो न तामीरों में
आए ठहरे और रवाना हो गए
मता-ए-दर्द का ख़ूगर मिरी तलाश में है
खींच देता मैं ज़माने पे मोहब्बत के नुक़ूश
इर्तिकाब-ए-जुर्म शर की बात है
भुला न पाया उसे जिस को भूल जाना था
होता फ़नकार-ए-जदीद और न शाएर होता
क्या ज़रूरी है जू-ए-शीर की बात
न सर छुपाने को घर था न आब-ओ-दाना था
इश्क़ की अंजुमन की बात करें
अस्र-ए-जदीद आया बड़ी धूम-धाम से