सज्दा-गाह-ए-बरहमन और शैख़ हैं दैर-ओ-हरम
मय-परस्तों के लिए बुनियाद मय-ख़ाने हुए
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Gulzar
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Parveen Shakir
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ज़ुल्फ़-ए-कलमूँही को प्यारे इतना भी सर मत चढ़ा
वफ़ा के हैं ख़्वान पर निवाले ज़े-आब अव्वल दोअम ब-आतिश
साक़िया पैहम पिला दे मुझ को माला-माल जाम
साक़ी हैं रोज़-ए-नौ-बहार यक दो सह चार पंज ओ शश
भर के नज़र यार न देखा कभी
कब तलक पीवेगा तू तर-दामनों से मिल के मुल
खेलें आपस में परी-चेहरा जहाँ ज़ुल्फ़ें खोल
ना-ख़लफ़ बस-कि उठी इश्क़ ओ जुनूँ की औलाद
कम-तर या बेशतर गए हम
इश्क़ में ख़्वाब का ख़याल किसे
गुल कभू हम को दिखाती है कभी सर्व-ओ-समन
दिल ने पाया जो मिरे मुज़्दा तिरी पाती का