Sad Poetry of Hijr Nazim Ali Khan

Sad Poetry of Hijr Nazim Ali Khan
नामहिज्र नाज़िम अली ख़ान
अंग्रेज़ी नामHijr Nazim Ali Khan
जन्म की तारीख1880
मौत की तिथि1914

शब-ए-फ़िराक़ कुछ ऐसा ख़याल-ए-यार रहा

न दर्द था न ख़लिश थी न तिलमिलाना था

मुझे वो याद करते हैं ये कह कर

क्या रश्क है कि एक का है एक मुद्दई

कुछ ख़बर है तुझे ओ चैन से सोने वाले

कभी ये फ़िक्र कि वो याद क्यूँ करेंगे हमें

हज़ार रंज हैं अब ये भी इक ज़माना है

ऐ हिज्र वक़्त टल नहीं सकता है मौत का

वो ये कहते हैं ज़माने की तमन्ना मैं हूँ

वो शोख़ बाम पे जब बे-नक़ाब आएगा

तुम भी निगाह में हो अदू भी नज़र में है

सितम तीर-ए-निगाह-ए-दिलरुबा था

शब-ए-फ़िराक़ कुछ ऐसा ख़याल-ए-यार रहा

मुझे फ़रेब-ए-वफ़ा दे के दम में लाना था

कुछ मोहब्बत में अजब शेव-ए-दिल-दार रहा

दिल फ़ुर्क़त-ए-हबीब में दीवाना हो गया

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