Hope Poetry (page 106)
उन का या अपना तमाशा देखो
बाक़ी सिद्दीक़ी
तारे दर्द के झोंके बन कर आते हैं
बाक़ी सिद्दीक़ी
रंग-ए-दिल रंग-ए-नज़र याद आया
बाक़ी सिद्दीक़ी
मरहले ज़ीस्त के आसान हुए
बाक़ी सिद्दीक़ी
ख़बर कुछ ऐसी उड़ाई किसी ने गाँव में
बाक़ी सिद्दीक़ी
जुनूँ की राख से मंज़िल में रंग क्या आए
बाक़ी सिद्दीक़ी
इस कार-ए-गह-ए-रंग में हम तंग नहीं क्या
बाक़ी सिद्दीक़ी
हम ज़र्रे हैं ख़ाक-ए-रहगुज़र के
बाक़ी सिद्दीक़ी
एतिबार-ए-नज़र करें कैसे
बाक़ी सिद्दीक़ी
सारी बस्ती में फ़क़त मेरा ही घर है बे-चराग़
बाक़ी अहमदपुरी
उड़े नहीं हैं उड़ाए हुए परिंदे हैं
बाक़ी अहमदपुरी
उदास बाम है दर काटने को आता है
बाक़ी अहमदपुरी
तू नहीं तो तेरा दर्द-ए-जाँ-फ़ज़ा मिल जाएगा
बाक़ी अहमदपुरी
मुझ से बिछड़ के वो भी परेशान था बहुत
बाक़ी अहमदपुरी
दश्त-ओ-दरिया के ये उस पार कहाँ तक जाती
बाक़ी अहमदपुरी
ख़्वाहिश-ए-सूद थी सौदे में मोहब्बत के वले
बक़ा उल्लाह 'बक़ा'
देखा तो एक शो'ले से ऐ शैख़-ओ-बरहमन
बक़ा उल्लाह 'बक़ा'
यकसाँ लगें हैं उन को तो दैर-ओ-हरम बहम
बक़ा उल्लाह 'बक़ा'
सीखा जो क़लम से न-ए-ख़ाली का बजाना
बक़ा उल्लाह 'बक़ा'
सैर में तेरी है बुलबुल बोस्ताँ बे-कार है
बक़ा उल्लाह 'बक़ा'
नर्गिस-ए-मस्त तिरी जाए जो तुल बरसर-ए-गुल
बक़ा उल्लाह 'बक़ा'
ख़ाल-ए-लब आफ़त-ए-जाँ था मुझे मालूम न था
बक़ा उल्लाह 'बक़ा'
ख़ाल-ए-लब आफ़त-ए-जाँ था मुझे मालूम न था
बक़ा उल्लाह 'बक़ा'
इश्क़ में बू है किबरियाई की
बक़ा उल्लाह 'बक़ा'
इस लब से रस न चूसे क़दह और क़दह से हम
बक़ा उल्लाह 'बक़ा'
हाँ मियाँ सच है तुम्हारी तो बला ही जाने
बक़ा उल्लाह 'बक़ा'
छुप के नज़रों से इन आँखों की फ़रामोश की राह
बक़ा उल्लाह 'बक़ा'
शोर-ए-दरिया है कहानी मेरी
बाक़र नक़वी
खेत से बच कर गुज़रे बस्ती को वीरानी दे
बाक़र नक़वी
दामन-ए-सब्र के हर तार से उठता है धुआँ
बाक़र मेहदी