Hope Poetry (page 214)
जिस ने किए हैं फूल निछावर कभी कभी
आल-ए-अहमद सूरूर
जब्र-ए-हालात का तो नाम लिया है तुम ने
आल-ए-अहमद सूरूर
हमें तो मय-कदे का ये निज़ाम अच्छा नहीं लगता
आल-ए-अहमद सूरूर
हमारे हाथ में जब कोई जाम आया है
आल-ए-अहमद सूरूर
फ़ुग़ान-ए-दर्द में भी दर्द की ख़लिश ही नहीं
आल-ए-अहमद सूरूर
दिल-दादगान-ए-लज़्ज़त-ए-ईजाद क्या करें
आल-ए-अहमद सूरूर
वादा-ए-बादा-ए-अतहर का भरोसा कब तक
आग़ा अकबराबादी
रक़ीब क़त्ल हुआ उस की तेग़-ए-अबरू से
आग़ा अकबराबादी
किसी को कोसते क्यूँ हो दुआ अपने लिए माँगो
आग़ा अकबराबादी
तिरे जलाल से ख़ुर्शीद को ज़वाल हुआ
आग़ा अकबराबादी
सिक्का-ए-दाग़-ए-जुनूँ मिलते जो दौलत माँगता
आग़ा अकबराबादी
शिद्दत-ए-ज़ात ने ये हाल बनाया अपना
आग़ा अकबराबादी
सर्व-क़द लाला-रुख़ ओ ग़ुंचा-दहन याद आया
आग़ा अकबराबादी
नुमूद-ए-क़ुदरत-ए-पर्वरदिगार हम भी हैं
आग़ा अकबराबादी
निगाहों में इक़रार सारे हुए हैं
आग़ा अकबराबादी
मुद्दत के बा'द इस ने लिखा मेरे नाम ख़त
आग़ा अकबराबादी
मज़ा है इम्तिहाँ का आज़मा ले जिस का जी चाहे
आग़ा अकबराबादी
मलते हैं हाथ, हाथ लगेंगे अनार कब
आग़ा अकबराबादी
मद्दाह हूँ मैं दिल से मोहम्मद की आल का
आग़ा अकबराबादी
ख़ुद मज़ेदार तबीअ'त है तो सामाँ कैसा
आग़ा अकबराबादी
जा लड़ी यार से हमारी आँख
आग़ा अकबराबादी
हमारे सामने कुछ ज़िक्र ग़ैरों का अगर होगा
आग़ा अकबराबादी
दिल में तिरे ऐ निगार क्या है
आग़ा अकबराबादी
दौर साग़र का चले साक़ी दोबारा एक और
आग़ा अकबराबादी
दीवाली
आफ़ताब राईस पानीपती
भगवान कृष्ण के चरनों में श्रधा के फूल चढ़ाने को
आफ़ताब राईस पानीपती
अदा से देख लो जाता रहे गिला दिल का
आफ़ताबुद्दौला लखनवी क़लक़
क्या ज़मीं क्या आसमाँ कुछ भी नहीं
आफ़ाक़ सिद्दीक़ी
वहाँ शायद कोई बैठा हुआ है
आदिल रज़ा मंसूरी
ना-कर्दा गुनाह
आदिल रज़ा मंसूरी