Love Poetry (page 8)
अपनी ख़बर, न उस का पता है, ये इश्क़ है
इरफ़ान सत्तार
अजब है रंग-ए-चमन जा-ब-जा उदासी है
इरफ़ान सत्तार
अब तिरे लम्स को याद करने का इक सिलसिला और दीवाना-पन रह गया
इरफ़ान सत्तार
अब आ भी जाओ, बहुत दिन हुए मिले हुए भी
इरफ़ान सत्तार
आज बाम-ए-हर्फ़ पर इम्कान भर मैं भी तो हूँ
इरफ़ान सत्तार
होश जिस वक़्त भी आएगा गिरफ़्तारों को
इरफ़ान परभनवी
वो कैसे लोग होते हैं जिन्हें हम दोस्त कहते हैं
इरफ़ान अहमद मीर
रस्म-ए-उल्फ़त से है मक़्सूद-ए-वफ़ा हो कि न हो
इरफ़ान अहमद मीर
पाबंद-ए-ग़म-ए-उल्फ़त ही रहे गो दर्द-ए-दहिंदाँ और सही
इरफ़ान अहमद मीर
न मैं हाल-ए-दिल से ग़ाफ़िल न हूँ अश्क-बार अब तक
इरफ़ान अहमद मीर
न मैं हाल-ए-दिल से ग़ाफ़िल न हूँ अश्क-बार अब तक
इरफ़ान अहमद मीर
ख़ंदगी ख़ुश लब तबस्सुम मिस्ल-ए-अरमाँ हो गए
इरफ़ान अहमद मीर
नश्शा था ज़िंदगी का शराबों से तेज़-तर
इरफ़ान अहमद
ग़म-ए-हयात ने बख़्शे हैं सारे सन्नाटे
इरफ़ान अहमद
थोड़ी सी दूर तेरी सदा ले गई हमें
इरफ़ान अहमद
नक़ाब चेहरे से उस के कभी सरकता था
इरफ़ान अहमद
है दर्द के इंतिसाब सा कुछ
इरफ़ान अहमद
मिरे पाँव में पायल की वही झंकार ज़िंदा है
इरम ज़ेहरा
हम उस के सामने हुस्न-ओ-जमाल क्या रखते
इरम ज़ेहरा
हम बाग़-ए-तमन्ना में दिन अपने गुज़ार आए
इरम लखनवी
दर्द का जब तक मज़ा हासिल न था
इरम लखनवी
अपने ग़रीब दिल की बात करते हैं राएगाँ कहाँ
इरम लखनवी
चैत का फूल
इक़तिदार जावेद
अंधराता
इक़तिदार जावेद
मैं सुनता रहता हूँ नग़्मे कमाल के अंदर
इक़तिदार जावेद
मौसमों की बातों तक गुफ़्तुगू रही अपनी
इक़बाल उमर
मैं कि वक़्फ़-ए-ग़म-ए-दौराँ न हुआ था सो हुआ
इक़बाल उमर
हर बात जो न होना थी ऐसी हुई कि बस
इक़बाल उमर
एक इक लम्हा कि एक एक सदी हो जैसे
इक़बाल उमर
दोस्तों में वाक़ई ये बहस भी अक्सर हुई
इक़बाल उमर