कहने की तो बात नहीं है लेकिन कहनी पड़ती है
दिल की नगरी में मत जाना जो जाए पछताए
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Anwar Masood
Jaun Eliya
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
Wasi Shah
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(667) Peoples Rate This
धूल-भरी आँधी में सब को चेहरा रौशन रखना है
उस का चेहरा उदास है 'माजिद'
कल जो मैं ने झाँक के देखा उस की नीली आँखों में
शाम छत पर उतर गई होगी
तूफ़ाँ कोई नज़र में न दरिया उबाल पर
'माजिद' ख़ुदा के वास्ते कुछ देर के लिए
लोगों ने आकाश से ऊँचा जा कर तमग़े पाए