कुछ कहने का वक़्त नहीं ये कुछ न कहो ख़ामोश रहो
ऐ लोगो ख़ामोश रहो हाँ ऐ लोगो ख़ामोश रहो
Ahmad Faraz
Gulzar
Jaun Eliya
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Wasi Shah
Anwar Masood
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1289) Peoples Rate This
लब पर नाम किसी का भी हो
जब दहर के ग़म से अमाँ न मिली हम लोगों ने इश्क़ ईजाद किया
देख हमारे माथे पर ये दश्त-ए-तलब की धूल मियाँ
कूचे को तेरे छोड़ कर जोगी ही बन जाएँ मगर
एक दिन देखने को आ जाते
इस बस्ती के इक कूचे में
दिल हिज्र के दर्द से बोझल है अब आन मिलो तो बेहतर हो
ये कौन आया
अपनी ज़बाँ से कुछ न कहेंगे चुप ही रहेंगे आशिक़ लोग
आन के इस बीमार को देखे तुझ को भी तौफ़ीक़ हुई